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ईरान और अमेरिका के बीच तनाव: ट्रंप की हत्या के षड्यंत्र पर विवाद

ईरान और अमेरिका के बीच तनाव: ट्रंप की हत्या के षड्यंत्र पर विवाद

हाल ही में ईरान के एक व्यक्ति पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया गया, लेकिन ईरान ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने इसे “एक मनगढ़ंत षड्यंत्र” करार दिया, जो अमेरिका और ईरान के बीच पहले से ही जटिल संबंधों को और उलझाने की कोशिश है।

अराकची ने सोशल मीडिया पर बयान देते हुए कहा, “अब एक नया स्क्रिप्ट तैयार की गई है, जहां हत्यारा असल में मौजूद नहीं है, बल्कि इसे तीसरे दर्जे का नाटक बनाने के लिए कहानीकारों को बुलाया गया है।” उन्होंने इस मामले को “अमेरिका और ईरान के बीच विश्वास बढ़ाने की जरूरत” के रूप में भी संबोधित किया और इस पर जोर दिया कि ईरान परमाणु हथियारों की दौड़ में नहीं है।

अराकची का मानना है कि ईरान और अमेरिका के बीच विश्वास का माहौल बनाना जरूरी है, और यह प्रयास दोनों पक्षों की ओर से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह एकतरफा प्रक्रिया नहीं है। इस बीच, ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाघई ने भी हत्या की इस साजिश में ईरान की किसी भी प्रकार की भूमिका से साफ इनकार किया और इसे “बिल्कुल बेबुनियाद” बताया।

अमेरिका के न्याय विभाग ने एक शिकायत दर्ज की है, जिसमें दावा किया गया है कि ईरान के अर्धसैनिक बल, रिवोल्यूशनरी गार्ड के एक अधिकारी ने एक संपर्क को ट्रंप की हत्या की साजिश रचने का निर्देश दिया था। इस शिकायत में कहा गया कि यह अधिकारी ट्रंप की हार की संभावना को देखते हुए चुनाव तक इंतजार करने की योजना बना रहा था, ताकि उनके हारने के बाद इस काम को अंजाम देना आसान हो सके।

यह मामला ऐसे समय पर सामने आया है जब अमेरिका और ईरान के रिश्ते पहले से ही तनावपूर्ण हैं। अमेरिका ने पिछले कुछ वर्षों में ईरान पर कई तरह के आरोप लगाए हैं, जिनमें से कई को ईरान ने “बेबुनियाद” और “दुश्मन ताकतों द्वारा फैलाया गया झूठ” बताया है।

इस मुद्दे पर ईरान ने कहा कि यह एक “दुर्भावनापूर्ण साजिश” है, जो यहूदी और ईरान-विरोधी गुटों द्वारा फैलाया गया है ताकि अमेरिका और ईरान के बीच के संबंधों में और भी पेचीदगी पैदा की जा सके।

ईरान ने हाल ही में दोबारा आश्वासन दिया है कि वह किसी भी हाल में परमाणु हथियारों का निर्माण नहीं करेगा। ईरान का कहना है कि यह निर्णय न केवल उनके सुरक्षा उपायों पर आधारित है बल्कि इस्लामी शिक्षाओं के तहत भी है। इसके बावजूद, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश ईरान के परमाणु कार्यक्रम को संदेह की नजर से देखते हैं।

यह मामला केवल एक आरोप नहीं है, बल्कि अमेरिका और ईरान के बीच संबंधों में लंबे समय से जारी तनाव का एक और अध्याय है। ईरान के इस बयान के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में कोई सुधार की उम्मीद कम ही नजर आ रही है, लेकिन यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले समय में क्या कोई सकारात्मक कदम उठाए जाते हैं या यह मामला आगे और भी बढ़ता है।

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