Current Affairs for Science & Technology 2023 In Hindi/विज्ञान और प्रौद्योगिकी करंट अफेयर्स
Current Affairs for Science & Technology 2023 In Hindi/
विज्ञान और प्रौद्योगिकी करंट अफेयर्स
मेटावर्स
मेटावर्स के बारे में जानकारी होना बहुत ज्यादा जरूरी है। इसके नाम में इसका अर्थ छिपा हुआ है।
बियॉन्ड यानी की परे और वर्ष का मतलब है ब्रह्मांड यानी की ऐसी चीज़ जो की ब्रह्मांड से परे है इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले वर्ष 1992 में किया गया था। इसके अंतर्गत इन्होंने एक ऐसी परिकल्पना की जो की एक आभासी दुनिया है जिसके अंतर्गत आप अपने कमरे में चारदीवारी में बैठे हुए होते है। यानी कि ऐसी आभासी दुनिया जिसमें भी कोई भी व्यक्ति एक चारदीवारी के अंदर बैठा हुआ होता है और मानसिक रूप से वह किसी आभासी दुनिया मैं अपने आप को उसका एक अभिन्न हिस्सा मानता है।
मेटावर्ष के भविष्य की बात करें तो मेटावर्स मुख्य रूप से हैब्रिड मोड में जो वर्क फोर्स है, ये आईडियल बनता जा रहा है। लेकिन इसकी यात्रा के अंतर्गत अगर हम बात करें तो अभी भी बहुत सारी कठिनाइयां है, खासकर अगर हम देखें तो एक्सपैंडेड रियलिटी जो है संवाद का एक महत्वपूर्ण माध्यम हो सकता है। जिसके अंतर्गत ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी और मिक्स्ड रियलिटी भी शामिल है।
कंपनियां अपने कर्मचारियों को इससे संबंधित जो भी उपकरण है जैसे हैंडसेट , हार्डवेयर उपलब्ध कराना जिससे कि इन तमाम चीजों में इन कर्मचारियों के द्वारा उपयोगकर्ता के द्वारा आसानी से हिस्सा लिया जा सके।
फेसबुक, ट्विटर ने तो इस पर काम करना शुरू कर दिया है और इनका ऐसा स्टेटमेंट है कि आने वाले पांच से 10 सालों में यह इस चीज़ को एक सच्चाई के रूप में हम सबके सामने प्रदर्शित कर देंगे, क्योंकि ये जो आभासी दुनिया है, यह सुनने में काफी अटपटा सा लगता है और इसी क्रम में अगर हम देखें तो फेसबुक ने अपना नाम बदल करके मेटा कर लिया है। मेटा शब्द मेटावर्स से ही संबंधित है। यह एक आभासी दुनिया है।
आयु निर्धारण तकनीक
नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को ऐक्नॉलज किया कि 4 साल पहले जो कठुआ में आठ वर्ष की बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना हुई थी, जिसके बाद उसकी हत्या कर दी गई थी, उस मामले में एक किशोर को एक वयस्क के रूप में प्रदर्शित किया जाना चाहिए था। यानी कि उसे कोर्ट के समक्ष पेश किया जाना था। तो इसके अंतर्गत आयु निर्धारण तकनीक जो है एक बार सुर्खियों में बनी है। उनमें विभिन्न प्रकार की तकनीकें हैं
ओसीफिकेशन टेस्ट
अक्ल दाड़ या विज़दम टीथ
एपिगेनेटिक क्लॉक तकनीक
रेडियोग्राफिक तकनीक
ओसीफिकेशन टेस्ट – ओसीफिकेशन टेस्ट के अंतर्गत इसमें हड्डियों के बनने की जो प्राकृतिक प्रक्रिया होती है उसका परीक्षण किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से हमारी शरीर की एपिफाइसिस है। हड्डियों की क्या प्रोसेसर है, किस तरह से ये बनती है इनका परीक्षण करके किसी भी व्यक्ति की आयु का निर्धारण किया जा सकता है।
जेनरेटिव आर्टिफीसियल इन्टेलिजेन्स (GAI)
इसमें मुख्य रूप से डेटा के अनुरूप आर्टिफीसियल इन्टेलिजेन्स यानी कृत्रिम बुद्धिमता के ऊपर एक प्रोग्रेसिव टेकनिक है, जो बहुत ही तेजी से विकसित हो रही । इसके अंतर्गत जो डेटा को डाला जाता है उन डेटा के आधार पर उन्हीं के अनुरूप प्रतिरूप और नियमों के आधार पर नई सामग्री जैसे कि कोई चित्र , ऑडियो , वीडियो को आउटपुट के जरिए जेनेरेट करती है यानी की जो आउटपुट होगा वो हमारा इस डेटा के अनुरूप होगा ।
इसके कुछ फायदे और कुछ नुकसान भी हो सकते हैं क्योंकि अगर हमने डेटा का गलत उपयोग किया, किसी की गुप्त जानकारी का उपयोग किया जो तो इसके संभावित खतरे भी हो सकते हैं, जहाँ एक और इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव है, दूसरे और इसके सकारात्मक पहलू भी देखे जा सकते हैं।
इस तकनीक का इस्तेमाल करके संगीत के क्षेत्र में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। संगीतकारों को नई नई ध्वनियां और नई नई संगीत की शैलियों को जेनेरेट करके प्रस्तुत कर सकता है। वही कंप्यूटर ग्राफिक्स में थ्री डी के विभिन्न प्रकार के मॉडल इसके द्वारा जेनेरेट किए जा सकते हैं। साथ ही साथ स्वास्थ्य देखभाल में और स्वास्थ देखभाल के अंतर्गत किसी भी रोग के निदान और उपचार के क्षेत्र में नवाचार को ये बढ़ावा दे सकता है। इसके अलावा रोबोटिक्स में भी इसका बहुत ही महत्वपूर्ण रोल हो सकता है
नेसोचैम की एक रिपोर्ट के अनुसार 4,16,000 आर्टिफीसियल इंटेलीजेंस यानी कृति पर आधारित रोजगार का सृजन का अनुमान इस रिपोर्ट के मुताबिक लगाया जा रहा है। इस क्षेत्र की विकास दर 20-25 प्रतिशत होने का अनुमान है। साथ ही वर्ष 2035 तक इसके द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त 957 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुड़ सकते हैं ।
मेघा ट्रॉपिक्स वॅन उपग्रह एमटी वॅन
एमटी वन सेटेलाइट वर्ष 2011 में अक्टूबर माह में लॉन्च किया गया था। इसका प्रमुख उद्देश्य मौसम और जलवायु के बारे में अध्ययन करना था । इसरो के द्वारा अभी हाल ही में इसे सेवा मुक्त किए गए एम टी वॅन उपग्रह के नियंत्रित पुन प्रवेश परीक्षण को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया है, जिसकी वजह से ये एक बार फिर से सुर्खियों में बना हुआ है।
यहाँ पर एक टर्म देखने को मिलता है एरोथर्मल विखंडन । एरोथर्मल विखंडन मुख्य रूप से एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें उच्च गति से पृथ्वी के वायुमंडल के माध्यम से यात्रा करने वाली कोई वस्तु अत्यधिक गर्मी और दबाव का अनुभव करती है, जिससे वह अलग हो जाती है या विखंडित हो जाती है। यानी कि जो यह सेवा मुक्त उपग्रह था, इसे नियंत्रित पुनः प्रवेश परीक्षण को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया है। ये अपने आप में काफी ज्यादा चैलेंजिंग था।
उष्ण कटिबंदी मौसम और जलवायु का अध्ययन करने के लिए यह इंडो फ़्रेंच अर्थ ऑब्ज़र्वेशन सटेलाइट है। इंडो फ़्रेंच अर्थ ऑब्ज़र्वेशन सटेलाइट एम टी वॅन उपग्रह है।
अल्ट्रामैसिव ब्लैक होल
शोधकर्ताओं ने ग्रेविटेशनल लेंसिंग का उपयोग करके अल्ट्रामैसिव ब्लैक होल के बारे में पता लगाया है। इसके अंतर्गत अंतरिक्ष पिंड या आकाशी पिंड का अग्रभाग, अपने पीछे दूर के पिंड से जो भी प्रकाश आता है उसको मोड़ देता है यानी कि अल्ट्रा मैसिव ब्लैक होल के अंतर्गत यह घटना शामिल है
ग्रेविटेशनल लेन्सिंग का उपयोग करके पता लगाया गया है कि इसका द्रव्यमान हमारे सुरज से 30 अरब गुना अधिक है।
ब्लैक होल
जहाँ गुरुत्वाकर्षण बहुत ज्यादा अधिक होता है, बहुत ज्यादा मजबूत होता है जहां कोई भी कर्ण या कोई भी वस्तु, कोई भी पिंड यहाँ तक की प्रकाश भी अगर इनके संपर्क में आती है तो वो बच नहीं पाती है। इसके अंदर विलुप्त हो जाती है ।
ब्लैक होल के कई प्रकार होते हैं इसमें पदार्थ अपना अस्तित्व खो देते हैं, अपने आप को खत्म कर लेते हैं, बड़े तारों के विस्फोट के साथ टूटने से ब्लैक पैदा होते हैं।
जो बड़े बड़े तारे हैं उनमे जब विस्फोट की घटनाएं होती हैं, जब वो टूटते हैं तो ब्लैक होल का निर्माण होता है। गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के साथ अविश्वसनीय रूप से घनी वस्तु का निर्माण करते हैं। जब गुरुत्वाकर्षण बल का खिंचाव होता है तो बहुत ही ज्यादा डेंस वस्तुओं का निर्माण इनके माध्यम से किया जाता है और ये इतना मजबूत होता है कि अपने चारों ओर के स्पेस टाइम को परिवर्तित कर देते हैं। इसमें मुख्य रूप से स्टेलर ब्लैकहोल, इंटरमीडिएट ब्लैकहोल और सुपर मेसिव ब्लैकहोल शामिल है।
सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल
सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल विमान से संबंधित है इस फ्युयेल को जेट विमान और वायुयान में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। पारंपरिक ईंधन के साथ मिक्स करने पर इसे बायोजेट फ्यूल भी कहा जाता है। भारत में विभिन्न प्रकार की अत्याधुनिक विकसित तकनीके है, उनका प्रयोग करके इनका उत्पादन किया जाता है।
इसके क्या लाभ हो सकते हैं?
ग्रीन हॉउस गैस के उत्सर्जन में कमी आएगी। इसके साथ साथ वायु की गुणवत्ता में सुधार होगी, ऊर्जा सुरक्षा में वृद्धि होगी, नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में रोजगार सृजन देखने को मिलेगा इसके अलावा सस्टेनेबल डेवलपमेंट को भी बढ़ावा मिलेगा।
एबीसीन
यह एक यौगिक है जो एक संकीर्ण स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक के रूप में उपयोगी गतिविधि दिखाता है। ये मुख्य रूप से जो बैक्टीरिया है उसमें सी सी आर टू प्रोटीन के सामान्य कार्य को प्रभावित कर देता है, उसे बाधित कर देता है और यह व्यवधान जो है बैक्टीरिया के अंदर कुछ अडवो की गति को बाधित कर देता है, जिससे कि हमारी कोशिकाएं , उसके बाहर की जो झिल्ली होती है वहाँ तक नहीं पहुँच पाता है। आर्टिफीसियल इन्टेलिजेन्स का प्रयोग करके इसकी खोज की गई हैं।
चंद्रयान 3
14 जुलाई 2023 ,भारत के इतिहास में एक सुनहरा दिन था क्योंकि इसी दिन भारत ने चंद्रयान 3 को लॉन्च किया था और भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला विश्व का पहला देश बन गया है। जबकि यु एस ए ,रूस और चीन के बाद या उपलब्धि हासिल करने वाला विश्व का चौथा देश है।
इससे पहले जो सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास भारत के द्वारा किया गया था वह सफल नहीं रहा। लेकिन दूसरे प्रयास मे ये सफल रहा और इसी के माध्यम से भारत ने ये कीर्तिमान स्थापित कर लिया है।
14 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसने उड़ान भरी। इसमे स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल यानी एल एम प्रोपल्शन मॉड्यूल पी एम और एक रोवर शामिल था।
इसका जो लैंडर था इसका नाम विक्रम था जो रोवर पे लोड था। इसका नाम प्रज्ञान था।
चन्द्रयान 3 के प्रणोदन मॉड्यूल में एक नया प्रयोग किया गया। स्पेक्ट्रोपोलिरिमेट्री ऑफ़ हेबिटेबल प्लेनेट अर्थ यानी शेप का प्रयोग किया गया था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सुगम लैंडिंग कराना, साथ ही साथ रोवर को चंद्रमा पर घूमते हुए प्रदर्शित करना और जो भी विभिन्न यथास्थानी वैज्ञानिक प्रयोग है इनका संचालन करना इसके प्रमुख उद्देश्यों के अंतर्गत शामिल था।
कायिक अनुवांश वेरिएंट
अभी हाल फिलहाल में जीनोम सीक्वेंसिंग या डी एन ए सीक्वेंसिंग में शोध चल रहे थे। इस शोध के अंतर्गत कैंसर से संबंधित विभिन्न प्रकार के प्रभाव देखे गए हैं। कायिक अनुवांशिक , हमारे शरीर में दो तरह की सेल होती है, सोमेटिक सेल जिसे हम काइक कोशिका कहते और गमैटिक सेल या जिसे हम जर्म लाइन भी कहते हैं।
पुरुषों में हम बात करें तो शुक्राणु और महिलाओं में हम बात करें तो अंडारू कोशिकाएं । इसे काइक उत्परिवर्तन के रूप में भी जाना जाता है। इसमें मुख्य रूप से सोमेटिक सेल होती है ऐसी सेल जो की काइक कोशिकाई के रूप में हमारे शरीर में मौजूद है, उनके डी एन ए में ये डी एन ए अनुक्रम में परिवर्तन देखने को मिलता है और ये शिशुओं का जब जन्म होता है उनके विकास की प्रक्रिया में परिवर्तन देखने को मिलता है।इसमें सिर्फ सोमैटिक सेल यानी काइक कोशिकाएं ही शामिल है।
आदित्य L1 मिशन।
इसरो का यह पहला सौर मिशन है इसे PSLV C57 के द्वारा प्रक्षेपित किया गया। इसरो के इतिहास में यहाँ पर कुछ नया देखने को मिला है। पी एस एल वि यान के द्वारा इसका प्रक्षेपण किया गया है, इसे इसके चौथे चरण को दो बार प्रक्षेपित किया गया है ताकि अंतरिक्ष यान को उसकी अंडाकार कक्षा में सटीक तरीके से स्थापित किया जा सके और इसे स्थापित किया गया है।
सूर्य ,पृथ्वी की प्रणाली के लैंग्वेजियन बिन्दु जिसे एल वॅन कहते हैं, इसके चारों ओर एक प्रभा मंडल कक्षा में स्थापित किया गया है। L1 बिंदु एक ऐसा स्थान है, जहाँ पर सूर्य और पृथ्वी की दो बड़े परिक्रमा करने वाले पिंडों के गुरुत्वाकर्षण शक्तियां एक दूसरे को बैलेंस करती हैं।
इसका मुख्य उद्देश्य सोलर कोरोना है। प्रकाश मंडल जिसे फोटो स्फियर कहते है क्रोम स्फियर और सौर पवन सोलर विंड के बारे में मूल्यवान जानकारी को इकट्ठा करना है। उस जानकारी को और भी ज्यादा हमारे अंदर विकसित करना और उसके बारे में ज्यादा नॉलेज दिलाना है। इसके अलावा सूर्य के विकरण, उष्मा, कणप्रवाह तथा चुम्बकीय क्षेत्र सहित सूर्य के व्यवहार और वे पृथ्वी को कैसे प्रभावित करते हैं के संबंध में हमारी समझ को और भी ज्यादा मजबूती देना है।
स्पेस 2030
निम्न और मध्यम आय वाले देशों में अगर हम देखें तो दृष्टि से संबंधित विभिन्न प्रकार की समस्याएं देखने को मिलती हैं इसी को सॉल्व करने के लिए डब्ल्यूएचओ के द्वारा इसकी शुरुआत की जाएगी।
इसका लक्ष्य है कि गुणवत्तापूर्ण नेत्र देखभाल सुनिश्चित करते हुए चश्मे से संबंधित समस्या का समाधान करने में सदस्य देशों की सहायता करना है
इसका विज़न ऐसे विश्व का निर्माण करना है जिसमें अपवर्तन दोष से जूझ रहे प्रत्येक व्यक्ति के पास इसके निदान हेतु गुणवत्तापूर्ण, सस्ती और जन केंद्र सेवाओं की पहुँच हो, साथ ही अपरधन दोष कवरेज पर जो चौहत्तरवीं विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा समर्थित वर्ष 2023 को लक्ष्य रखा गया है उसके लक्ष्य को प्राप्त करने में सदस्य देशों की सहायता करना है।
कार्बन नैनो फ्लोरेट्स
ये आई आई टी बॉम्बे के शोधकर्ताओं के द्वारा बनाया गया है। ये 87% की प्रभावशाली प्रकाश अवशेषों की दक्षता को प्रदर्शित करता है। इसके अंतर्गत जो पारंपरिक सौर थर्मल सामग्रियां है जिसमें परावैगिनी किरणों अवशोषित किया जाता है। इनके बिल्कुल ये विपरीत या दृश्य प्रकाश सहित सूर्य के प्रकाश की कई आवृतियों को अवशोषित करता है, लेकिन जो पारंपरिक सौर थर्मल सामग्रियां हैं उसमें अगर हम देखें तो पराबैगनी किरणों को ही अवशोषित किया जाता है, लेकिन यहाँ पर इसके बिल्कुल उल्टा है। यहाँ पर अवरक्त दृश्य प्रकाश को भी अवशोषित किया जा रहा है।