लेबनान में पेजर हमला: इजराइल के पीएम नेतन्याहू ने दी थी हरी झंडी, 40 हिजबुल्लाह सदस्य मारे गए
लेबनान में पेजर हमला: इजराइल के पीएम नेतन्याहू ने दी थी हरी झंडी, 40 हिजबुल्लाह सदस्य मारे गए
इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हाल ही में स्वीकार किया है कि उन्होंने लेबनान में ईरान-समर्थित हिजबुल्लाह के ठिकानों पर पेजर हमले की अनुमति दी थी। इन हमलों में करीब 40 लोग मारे गए और 3,000 से अधिक घायल हुए। यह हमले 17-18 सितंबर को हुए, जिसमें हिजबुल्लाह के संचार साधन, खासकर पेजर्स, में अचानक विस्फोट हो गए।
हिजबुल्लाह के सदस्य पेजर का उपयोग संचार के लिए करते थे, क्योंकि इनमें GPS, माइक्रोफोन, या कैमरा नहीं होते थे, जिससे वे इजराइली ट्रैकिंग से बच सकते थे। इस हमले में हजारों पेजर्स को 30 मिनट के भीतर विस्फोट कराया गया। यह हमला लेबनान और इजराइल के सीमा पर चल रहे संघर्ष के बीच आया है, जो अक्टूबर 2023 के बाद और तेज हो गया है।
पेजर विस्फोट के बाद, हिजबुल्लाह ने इसे “इजराइली हमला” बताते हुए बदला लेने का वादा किया। इसके जवाब में, ईरान ने इजराइल पर मिसाइल हमले किए, जिनमें इसके हाइपरसोनिक फत्ताह मिसाइलें शामिल थीं। ईरान का दावा है कि 400 से अधिक प्रोजेक्टाइल अपने लक्ष्यों पर लगे, लेकिन इजराइल ने इसे खारिज करते हुए कहा कि अधिकांश मिसाइलें अमेरिकी नेतृत्व वाली गठबंधन के रक्षा तंत्र द्वारा रोकी गईं।
इस बीच, इजराइल ने लेबनान की राजधानी में एक सटीक हमला करते हुए हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह को मारने का दावा भी किया है। इसके अतिरिक्त, लेबनान ने इन हमलों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र श्रम एजेंसी में शिकायत दर्ज करवाई है, इसे “मानवता के खिलाफ युद्ध” करार दिया है। इजराइल ने अक्टूबर के बाद से लेबनान में हिजबुल्लाह के कई बड़े ठिकानों पर हमले किए हैं, जिसमें कई प्रमुख हिजबुल्लाह नेताओं की मौत भी शामिल है।
पेजर विस्फोट की वजह को लेकर कई थ्योरी सामने आई हैं। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, पेजर्स में 3 ग्राम RDX विस्फोटक सामग्री मिलाई गई थी, जिससे संचार के दौरान ये विस्फोट हो गए। कुछ का मानना है कि ये उपकरणों की आपूर्ति श्रृंखला के दौरान मोसाद द्वारा किए गए साइबर हमलों का परिणाम हो सकता है।
लेबनान-इजराइल की यह ताजा टकराव बताता है कि किस प्रकार इस क्षेत्र में तकनीकी और सामरिक बढ़त का इस्तेमाल किया जा रहा है। इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच यह संघर्ष केवल एक सैन्य टकराव नहीं है, बल्कि एक नई तकनीकी चुनौती भी पेश करता है। ऐसे में, इजराइल के खिलाफ ईरान और हिजबुल्लाह की प्रतिक्रिया से मध्य पूर्व की स्थिति और भी अस्थिर हो सकती है।
लेबनान और इजराइल के बीच का यह संघर्ष निकट भविष्य में खत्म होता नहीं दिखता, बल्कि इससे और भी गहरे भू-राजनीतिक निहितार्थ निकल सकते हैं।