कतर ने गाजा संघर्ष के मध्यस्थता प्रयास किए समाप्त | बातचीत की नई शर्तें रखीं
गाज़ा में जारी युद्ध और हिंसा को रोकने के लिए कतर एक प्रमुख मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा था, लेकिन हाल ही में कतर ने इस मध्यस्थता प्रक्रिया को फिलहाल रोकने का फैसला लिया है। इसका कारण यह है कि दोनों पक्ष – हमास और इज़राइल, बातचीत के प्रति “सच्ची इच्छाशक्ति” नहीं दिखा रहे हैं। कतर का मानना है कि बिना ईमानदारी के किसी भी वार्ता का कोई परिणाम नहीं निकलेगा, इसलिए कतर ने अपने प्रयासों को तब तक रोकने का निर्णय लिया है जब तक दोनों पक्ष गंभीरता से समाधान की दिशा में कदम नहीं बढ़ाते।
गाज़ा में चल रहे इस संघर्ष में कतर का मुख्य उद्देश्य था कि इज़राइल और हमास के बीच सीधी वार्ता की जा सके, ताकि हिंसा को रोका जा सके और बंधकों की अदला-बदली जैसे मानवता से जुड़े मुद्दों पर समझौता हो सके। गाज़ा में संघर्ष का असर हर दिन बढ़ता जा रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों की जानें जा रही हैं।
पिछले कुछ महीनों में कतर, अमेरिका और मिस्र के सहयोग से कई बार शांति वार्ताएं आयोजित की गईं, लेकिन हर बार कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। अक्टूबर के मध्य में एक नया वार्ता सत्र हुआ था, लेकिन हमास ने अस्थायी युद्धविराम के प्रस्ताव को ठुकरा दिया, जिससे वार्ता की उम्मीदें भी समाप्त हो गईं। इसके बाद कतर ने यह महसूस किया कि दोनों पक्षों में बातचीत के लिए वास्तविक रुचि की कमी है।
कतर ने साफ़ कर दिया है कि फिलहाल वह अपनी मध्यस्थता को रोक रहा है, लेकिन यह भी कहा है कि जैसे ही दोनों पक्ष गंभीरता से बातचीत करना चाहेंगे, कतर अपनी भूमिका फिर से निभाने के लिए तैयार होगा।
गाज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इस संघर्ष में अब तक 43,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें आधे से ज़्यादा महिलाएं और बच्चे हैं। यह आँकड़ा दिखाता है कि इस संघर्ष में आम नागरिक सबसे ज़्यादा प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे हालात में शांति वार्ता का महत्व और बढ़ जाता है, लेकिन इसके लिए दोनों पक्षों का ईमानदारी से आगे आना ज़रूरी है।
गाज़ा के इस संघर्ष की शुरुआत पिछले साल अक्टूबर में हुई थी जब हमास ने इज़राइल पर हमला कर दिया था। इस हमले में लगभग 1,200 लोग मारे गए थे और 250 से अधिक लोग बंधक बना लिए गए थे। यह घटना दोनों पक्षों के बीच गहरे तनाव का कारण बनी और तब से लेकर अब तक हिंसा में कमी नहीं आई है।
इस संघर्ष में सिर्फ़ आम नागरिक ही नहीं, बल्कि अस्पताल और स्कूल जैसे मानवीय आश्रय स्थल भी प्रभावित हो रहे हैं। हाल ही में गाज़ा में इज़राइली हवाई हमलों में 16 लोगों की मौत हो गई, जिसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। ऐसे हालात में दोनों पक्षों का बातचीत की मेज पर आना और ज़रूरी हो जाता है ताकि आम नागरिकों को राहत मिल सके।
कतर की ओर से यह फैसला एक तरह से दोनों पक्षों के लिए एक सख्त संदेश है कि बिना गंभीरता के शांति संभव नहीं है। कतर ने यह भी साफ कर दिया है कि वह तभी मध्यस्थता के लिए तैयार होगा जब इज़राइल और हमास वास्तविक रुचि और ईमानदारी के साथ समाधान की दिशा में कदम बढ़ाएंगे।
इस तरह, गाज़ा का संघर्ष अब भी एक बड़े समाधान की ओर बढ़ने के लिए तैयार नहीं दिखता, लेकिन कतर के इस कदम से शायद दोनों पक्षों को अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करने का संकेत मिले। उम्मीद है कि जल्द ही शांति की कोई राह निकल सकेगी ताकि इस संघर्ष में पीड़ित लोगों को राहत मिल सके।