भारत सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं की सूची 2023:List of Important Government Schemes
मेक इन इंडिया स्कीम
सबसे पहले बात करते हैं हमारी पहली स्कीम की तो हमारी जो पहली स्कीम है उसका नाम है मेक इन इंडिया स्कीम। अब मेक इन इंडिया स्कीम के बारे में तो आप जानते ही हैं। इस स्कीम की जो शुरुआत हुई थी वो 2014 में हुई थी और इसका प्राथमिक लक्ष्य है कि देश को एक अग्रणी वैश्विक विनिर्माता बनाना और दुनिया भर के जो निवेशक है उन निवेशकों को भारत में आकर्षित करना यानी कि भारत को एक इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के तौर पर स्थापित करना इसमें जो संबंधित विभाग है,यानी कि जीस विभाग द्वारा इस पूरी योजना को क्रियान्वित किया जा रहा है, उस विभाग का नाम है उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग जो कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत काम करता है।
इसमें वो लोग जो कि भारत में निवेश कर सकते हैं, चाहे वो भारत में रहते हो, चाहे वह विदेश में रहते हो ,संभावित निवेशकों और भागीदारों को भारत में काम करने के लिए आकर्षित करना है। उन्हें भारत में बुलाना है। इसका टारगेट है भारत में एक नए इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन की शुरुआत करना, एक नवीन औद्योगीकरण की शुरुआत करना ।
इसमें टारगेट रखा गया है कि हमारा जो विनिर्माण क्षेत्र है, उसमें तकरीबन 12-14 प्रतिशत तक की वृद्धि दर होनी चाहिए। इसके अलावा इसका एक लक्ष्य ये भी है कि हम इस पूरी योजना के माध्यम से 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगार भी स्थापित करेंगे। इसके अलावा हमारे देश को निर्यात आधारित देश बनाने की भी का भी प्रयास किया जाएगा। भारत के प्रोडक्ट्स को दुनिया में भेजने की कोशिश की जाएगी।
SAIME पहल
इसकी फुल फॉर्म है सस्टेनेबल ऐग्रिकल्चर इनोसिस्टेम इस योजना को 2019 में शुरू किया गया था और ये एक सतत झींगा पालन के लिए शिम प्रोडक्शन के लिए एक कम्यूनिटी बेस्ड पहल है। जिसमें मैंगरो संरक्षण पर भी ज़ोर दिया जाएगा।
भारत में जो झींगा प्रोडक्शन है, वह लगातार पिछले कुछ सालों से बढ़ता जा रहा है। उसमें बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। लेकिन इसका एक नकारात्मक पहलू ये है कि झींगा प्रोडक्शन बढ़ने की वजह से जो मैंगरो फॉरेस्ट है, उसको लगातार नकारात्मक तौर पर नुकसान पहुँच रहा है। तो इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस योजना की शुरुआत की थी। इस पहल के माध्यम से एक तरफ तो भारत में जो हमारा मैंगरो फॉरस्ट है, उसको बढ़ावा दिया जाएगा। वही दूसरी तरफ शिम प्रोडक्शन को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
बाइंड योजना
बाइंड की फुल फॉर्म है ब्रॉडकास्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड नेटवर्क डेवलपमेंट योजना।
योजना के तहत प्रसार भारती के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के विस्तार के लिए यानी कि उसका जो इंफ्रास्ट्रक्चर है उसको बढ़ावा देने के लिए, उसको डेवलॅप करने के लिए। इसके अलावा, प्रसार भारती जीस तरह का कॅन्टेंट बनाता है, उस कॅन्टेंट को विकसित करने के लिए और साथ ही प्रसार भारती की जो दैनिक जरूरतें है, जो सिविल जरूरतें है, उनमें जो खर्चा आता है उस खर्चे को पूरा करने के लिए प्रसार भारती को वित्त प्रदान करना है तो इस पूरी योजना में मुख्यतः प्रसार भारती पर ज़ोर दिया जाएगा।
इस योजना की शुरुआत की गई है ताकि भारत के जो ग्रामीण दूर दराज वाले इलाके है जो बहुत दुर्गम इलाके है जहाँ बहुत पिछड़े इलाके है। या फिर वो इलाके जो की आतंकवाद से प्रभावित है, अतिवाद से प्रभावित है, वामपंथवाद से प्रभावित है,उन इलाकों में जो लोग रहते हैं, उन लोगों को ब्रॉडकास्टिंग सर्विस के माध्यम से , जो हमारी दुनिया है, उससे जोड़ा जा सके। सरकार की जो योजनाएं है उन योजनाओं के बारे में उन लोगों को जागरूक किया जा सके ताकि जब उन्हें पता होगा कि सरकार उनके बारे में किस तरह से सोच रही है, कोन सी योजनाएं संचालित की जा रही है तब जाकर वो लोग हमारी सरकार से जुड़ सकेंगे।
इसके तहत आपको दो विभाग दिखाई देंगे। इसमें पहला विभाग है दूरदर्शन और दूसरा विभाग है ऑल इंडिया रेडियो सरकार इन दोनों के माध्यम से अपनी योजनाओं को जनता तक पहुंचाती है।यानी सरकार जो कार्यक्रम चला रही है उन कार्यक्रम को जनता तक पहुंचाने की जो जिम्मेदारी है वो इन दोनों को दी गई है।
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम
ये एक केंद्रीय वित्त पोषित कार्यक्रम है यानी के इसमें जो फाइनेंस है,वो पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा दिया जाएगा। इस कार्यक्रम में जो हमारे सीमावर्ती गांव है यानी कि जो बॉर्डर विलेजेस हैं, वहाँ पर जो लोग रहते हैं, उनके जीवन में सुधार करने पर ज़ोर दिया जाएगा। वहाँ पर बेहतर सुविधाएं प्रदान करने पर ज़ोर दिया जाएगा और सीमावर्ती गांव जैसे हिमाचल प्रदेश के वो गांव जो की बॉर्डर पर आते हैं। इसके अलावा उत्तराखंड , अरुणाचल प्रदेश , सिक्किम , लद्दाख तो खासतौर पर यहाँ पर अगर आप देखेंगे तो हिमालयी क्षेत्र वाले जो रीजन है, वहाँ पर जो राज्य पड़ते हैं, उन राज्यों के गांव में उन राज्यों के बॉर्डर एरियाज में सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट करने पर ज़ोर दे रही है।
इसकी घोषणा 2022 23 के बजट में देखने को मिली थी और ये कार्यक्रम 2025 26 तक संचालित किया जाएगा। इसमें ग्राम पंचायतों को बहुत इम्पोर्टेन्ट रोल दिया गया है।जो गांव की पंचायतें हैं वो पंचायतें जिला प्रशासन के साथ मिलकर यानी की जो आपका डिस्ट्रिक्ट अड्मिनिस्ट्रेशन हैं। जो डी एम हैं, उस तरह के जो ऑफिसर्स हैं उनके साथ मिलकर एक वाइब्रेंट विलेज अक्शॅन प्लान तैयार करेंगे तो ग्राम पंचायतों का एक इम्पोर्टेन्ट रोल हैं और वो पंचायतें अपने ही गांव के विकास के लिए एक प्लान तैयार करेंगी और प्लान तैयार करते हुए ये भी ध्यान में रखा जायेगा की गांव के पास स्थानीय स्तर पर कौन से रीसोर्सेस मौजूद है।
नेचुरल लेवल पर कौन से रीसोर्सेस मौजूद है, मानव संसाधन कितना मौजूद है, दूसरे अन्य तरह के संसाधन कितने मौजूद है और उन्हीं संसाधनों के आधार पर उसी पूरे रिसोर्स इवैल्यूएशन के आधार पर ये अक्शॅन प्लान तैयार किया जाएगा
आदि गंगा पुनरुद्धार योजना
ये योजना बेसिक्ली कोलकाता, पश्चिम बंगाल की जो आदि गंगा है उसके पुनरुद्धार के लिए शुरू की गई है। उसको वापस से रिस्टोर करने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई है और इस योजना के तहत जो संचालित किया जाएगा वो आपका राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत संचालित किया जाएगा और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत संचालित करने के लिए इस पूरी योजना को ₹650,00,00,000 का जो अमाउंट है वो भी आवंटित किया गया है।
आदि गंगा एक समय पर गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी हुआ करती थी। सत्रहवीं सदी के आस पास ये गंगा नदी की सबसे प्रमुख धारा थी, लेकिन समय के साथ ये नदी लगातार बर्बाद होती रहती है। लगातार यहाँ पर प्रदूषण बढ़ता रहता है और एक समय पर आकर वर्तमान समय में इस नदी ने एक नाले का रूप धारण कर लिया है। अगर यमुना से इसकी तुलना करे तो यमुना के बराबर इसकी जो स्थिति है वो खराब हो गई है।
पॉपुलर पॅलूशॅन डिपार्टमेंट की एक रिपोर्ट ये बताती है कि इस नदी में तकरीबन प्रति 100 मिलीमीटर जल में 17 मिलियन से ज्यादा मल बैक्टीरिया दिखाई दे जाएंगे। इतना ज्यादा पॅलूशॅन इस नदी में दिखाई देगा और इसी वजह से इस नदी को कई जानकारों द्वारा डेड रिवर के तौर पर भी कहा जाता है।
इसको डेड रिवर डिक्लेर कर दिया गया है। अब यहाँ पर ऑक्सीजन की जो मात्रा है वो भी बहुत कम है और जब ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है तो इसका मतलब ये होता है कि वहाँ पर जो बायोडिवेर्सिटी थी, जलीय जैव विविधता वो भी पूरी तरह से समाप्त हो गई है। पूरी नदी को दुबारा से शुरू करने के लिए इसमें स्वच्छ पानी लाने के लिए एन जी टी की ओर से पश्चिम बंगाल की सरकार को कुछ निर्देश जारी किए गए थे। इन निर्देशों में ये कहा गया था कि पश्चिम बंगाल की सरकार को 30 सितंबर 2025 तक इस नदी का पुनरुद्धार सुनिश्चित करना है। तो इसके लिए इस पूरी योजना को शुरू किया गया है।
पी एम मित्र योजना
पी एम मित्र योजना की अगर आप फुल फॉर्म की बात करे तो उसकी फुल फॉर्म है पी एम मेगा इंटिग्रेटेड टेक्सटाइल रीज़न
ये योजना मुख्यतः भारत के अलग-अलग राज्यों में नए टेक्सटाइल पार्क स्थापित करने के लिए शुरू की गई है। इसमें तमिलनाडु , तेलंगाना , कर्नाटक, इसके अलावा महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश है जहाँ पर सरकार द्वारा नए टेक्सटाइल पार्क गठित करने की बात की जा रही है।
ये पार्क भारत में इन सभी राज्यों में 2026 27 तक गठित कर लिए जाएंगे और जो पार्क इस योजना के तहत गठित किए जाएंगे, उन पार्को को स्पेसिफिक नाम दिया जाएगा। उनका नाम होगा पी एम मित्र पार्क। ये पार्क पी पी पी मॉडल के तहत गठित होंगे। यानी कि पब्लिक प्राइवेट पार्ट्नरशिप मॉडल के तहत गठित किया जाएगा और इनको गठित करने के लिए एक स्पेशल कंपनी बनाई जाएगी, यानी कि एक विशेष प्रायोजन वाहन का गठन किया जाएगा।
इसका मतलब यह है कि एक अलग कंपनी बनेगी, जो कंपनी इस टेक्सटाइल पार्क का मनेजमेंट करेगी। ये केंद्र और राज्य के स्वामित्व में होंगे। यहाँ पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओनरशिप होगी।
स्माइल और श्रेष्ठ योजना
इन दोनों योजनाओं को भारत में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय विभाग द्वारा शुरू किया गया है। स्माइल योजना की फुल फॉर्म है सपोर्ट फॉर मार्जिनलाइज्ड इंडीविजुअल फोर लाइवलीहुड एंड एंटरप्राइज। ये योजना हमारे समाज के जो मार्जिनलाइज़्ड इंडीविजुअल है,उनके लिए शुरू की गई है। उनकी आजीविका और रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए शुरू की गई है।
मार्जिनलाइज़्ड इंडीविजुअल सरकार के अनुसार वो लोग हैं जो ट्रांसजेंडर कम्यूनिटी के लोग हैं, इसके अलावा जो लोग भिक्षावृत्ति में शामिल हैं, जो लोग बेगिरी में शामिल हैं, भीख मांगते हैं, उन लोगों को भी सरकार ने इस योजना में कवर किया है। तो सबसे पहले जो ट्रांसजेंडर लोग हैं उनको इस योजना में कवर किया गया है।
इस योजना में शामिल करते हुए उन्हें सबसे पहले उनकी जो लाइवलीहुड है, उनकी जो आजीविका है उसमें सुधार करने पर ज़ोर दिया जाएगा। उनको एम्पावर करने पर ज़ोर दिया जाएगा, उनको बेहतर व्यवसाय शुरू करने की सहायता की जाएगी।
श्रेष्ठ योजना
श्रेष्ठ का फुल फॉर्म है स्कीम फॉर रेजिडेंशियल एजुकेशन फॉर स्टूडेंट्स इन हैयर स्कूल्स इन दी टार्गेटेड एरियाज
ये पूरी स्कीम अनुसूचित जाति के स्टूडेंट्स से जुड़ी हुई है।
इस योजना में उन स्टूडेंट्स को आवासीय विद्यालय प्रदान किए जाएंगे जो रेजिडेंशियल स्कूल्स होते हैं, और अगर कोई जो स्कूल है जो गैर आवासीय है, नॉन रेजिडेंशियल है तो वहाँ पर छात्रावास की सुविधा प्रदान की जाएगी। इस योजना को संचालित करने के लिए सरकार नॉर्थ गवर्नमेंट ऑर्गेनाइजेशन को फण्ड भी प्रदान करेगी
पोषण भी पढ़ाई भी कार्यक्रम
ये कार्यक्रम महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया है और इस कार्यक्रम के दौरान मुख्यतः जो आंगनवाड़ी के केंद्र होते हैं, उन आंगनवाड़ी केंद्रों में जो प्रारंभिक बाल अवस्था देखभाल शिक्षा के जो कॉन्सेप्ट है, उस कॉन्सेप्ट को लागू करने की कोशिश की जाएगी।
ये कॉन्सेप्ट कहता है कि,बच्चे के जन्म के कुछ ही समय बाद जो प्रारंभिक बाल्यावस्था है उसकी देखभाल भी होनी चाहिए और वहीं पर आपकी शिक्षा भी होनी चाहिए। जब आप उस लेवल से शिक्षा देना शुरू करते हैं तब जाकर के एक बच्चे का ओवरआल डेवलपमेंट सुनिश्चित हो पाता है।
इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वर्तमान समय में आंगनवाड़ी केंद्र एक पोषक पोषण सेंटर के तौर पर काम करते हैं। जहाँ पर बच्चों को पोषण युक्त खाना प्रदान करने की कोशिश की जाती है।
इस योजना के माध्यम से जो आंगनवाड़ी केंद्र है उनको शिक्षा के केंद्र के तौर पर भी गठित किया जायेगा। मात्र भाषा में शिक्षा देने की कोशिश की जाएगी और प्रत्येक बच्चे को यहाँ पर प्रतिदिन कम से कम 2 घंटे की उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा जो प्री स्कूल की शिक्षा होती है, प्रदान करने की कोशिश की जाएगी।
इसके अलावा इसमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने का भी प्रावधान है। जो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता है जो लोग वहाँ पर काम कर रही है, जो आशाएं हैं। इस योजना में ₹600,00,00,000 का अमाउंट इनके प्रशिक्षण पर ही रखा गया है।
शक्ति योजना है
शक्ति योजना कर्नाटक की सरकार की ओर से शुरू की गई है।
इस योजना के माध्यम से कर्नाटक की सरकार जो सड़क परिवहन विभाग है, गैर प्रीमियम बसों में महिलाओं को मुफ्त सेवा प्रदान की जा की जाएगी। हालांकि ये जो फ्री की बस की सर्विस है, ये केवल गैर प्रीमियम बसों में ही मिलेंगी।
इस योजना का प्राथमिक लक्ष्य है कि कर्नाटक में जो वर्क फोर्स है, उसमें महिलाओं की जो हिस्सेदारी है, उसमें बढ़ोतरी की जा सके। महिलाओं को घर से बाहर निकलने के लिए प्रेरित किया जा सके ताकि वो कर्नाटक की इकॉनमी में और ज्यादा योगदान दे सकें।
वैभव योजना
वैभव योजना की फुल फॉर्म है वैश्विक भारत वैज्ञानिक । विदेशों में काम कर रहे वो लोग जो स्टेम क्षेत्र यानी कि वो सेक्टर जहाँ पर साइंस , टेक्नोलॉजी ,इंजीनियरिंग, मैथेमेटिक्स , मेडिकल । खास तौर पर विज्ञान से जुड़े क्षेत्रों में जो भारतीय काम कर रहे हैं उन्हें भारतीय संस्थानों से जोड़ना है। उन लोगों को भारतीय सेक्शन जो रिसर्च इन्स्टिट्यूट है, उन इन्स्टिट्यूट से जोड़ना है ताकि भारत का जो रिसर्च इकोसिस्टम है, उसको और ज्यादा बेहतर तरीके से विकसित किया जा सके।
इस पूरे कार्यक्रम में सरकार ने वैभव फैलोशिप शुरू करने की भी कोशिश की है।
इस पूरी फैलोशिप में भारत का जो रिसर्च एको सिस्टम है, उसको बढ़ावा देने की कोशिश की जाएगी, उसको मजबूत करने की कोशिश की जाएगी। इसमें जो भारतीय शोधकर्ता है भारतीय रिसर्चर्स है, उन्हें विदेशी संस्थानों के साथ जोड़ा जाएगा, ताकि जो भारतीय शोधकर्ता है वो विदेश में
उन प्रैक्टिस को समझ सकेंगे और उनको वापस आकर भारत में लागू कर सकेंगे । इससे भारत का जो रिसर्च इकोसिस्टम है, वो विदेशों के रिसर्च इको सिस्टम के बराबर पहुँच सकेगा। जो हमारे स्टैंडर्ड्स हैं, वो विदेशी स्टैन्डर्ड के बराबर पहुँच सकेंगे।
पी एम प्रणाम योजना
इसका फुल फॉर्म है प्रमोशन ऑफ अल्टरनेटिव न्यूट्रिएंट्स फॉर एग्रीकल्चरल मनेजमेंट। इस पूरी योजना में जैव उर्वरकों यानी कि बायोफर्टिलाइजर्स के उपयोग को, और ज्यादा बढ़ाने पर ज़ोर दिया जाएगा, जिसके माध्यम से हम हमारी जो जमीन है, उसकी उर्वरता को पुनर्स्थापित कर सकते हैं। हमारी जमीन को और ज्यादा पोषित कर सकते हैं
इसमें राज्यों को वैकल्पिक उर्वरक अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके माध्यम से हमारे देश में जो रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल हो रहा है, और चेमिटिकल फर्टिलाइजर्स पर सरकार जो सब्सिडी देती है उस सब्सिडी के दबाव को कम करना है। केमिकल फर्टिलाइज़र के यूज़ को कम किया जाएगा।
वर्तमान समय में जो हमारे देश में केमिकल फर्टिलाइजर्स यूज़ होते हैं, उन पर सरकार को तकरीबन 2.25,00,000 करोड़ रुपए की सब्सिडी देनी पड़ती है तो ऐसे में अगर ये योजना सफल होती है और हमारे देश में एक बड़े लेवल पर रासायनिक उर्वरकों का जो उपयोग है, हम उसको रोक देते हैं तो इसके माध्यम से सरकार को जो पैसा देना पड़ता है
ये पैसा भी कम हो जाएगा और ये पैसा सरकार दूसरे सेक्टर्स में इस्तेमाल कर सकती है।
ये योजना रसायन और उर्वरक मंत्रालय यानी कि फर्टिलाइज़र डिपार्टमेंट के तहत काम करती है।
वात्सल्य योजना
ये महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से शुरू की गई है और इसका प्राथमिक लक्ष्य है कि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। इस मिशन के तहत ग्रामीण लेवल पर जो बाल कल्याण और संरक्षण समितियां काम करती हैं, वो समितियां बच्चों की पहचान करेंगी। जो कठिन परिस्थितियों में मौजूद है जो कि अनाथ है, इनकी पहचान करने के बाद इन्हें इस योजना के माध्यम से तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। ताकि इनका जीवन और ज्यादा बेहतर किया जा सके। इसका लक्ष्य है कि देश भर के प्रत्येक बच्चे के लिए एक सवस्थ और खुशहाल बचपन सुनिश्चित करना ।
महिला सम्मान बचत प्रमाण पत्र योजना
ये योजना वित्त मंत्रालय की ओर से शुरू की गई है और एक माइक्रो सेविंग स्कीम है। लघु बचत योजना है। इसके तहत हमारे देश के जो महिलाएं है उन्हें निवेश करने के लिए इस पूरी योजना को शुरू किया है ताकि भारत की महिलाओं को और ज्यादा निवेश करने के लिए प्रेरित किया जा सके।
इस योजना में भारत की किसी भी आयु वर्ग की कोई भी महिला इस पूरी योजना में हिस्सा ले सकती है।
इस योजना के तहत दो वर्ष की अवधि के लिए कम से कम ₹1000 और अगर आप अधिकतम बात करते हैं तो इसमें आप ₹2,00,000 जमा कर सकते हैं। ये केवल मार्च 2025 तक ही संचालित की जाएगी। जो भी राशी जमा करी जाएगी उस अमाउंट पर सरकार की ओर से 7.5% का इन्ट्रेस्ट दिया जाएगा और ये जो इन्ट्रेस्ट है इसका कैलकुलेशन त्रैमासिक आधार पर यानी की हर तीन महीने बाद किया जाएगा।
इसके अलावा यहाँ पर ये भी सुविधा मौजूद है कि अगर आप चाहे तो समय से पहले भी अपना पैसा निकाल सकते हैं तो समय से पहले पैसा निकालने की भी सुविधा है। हालांकि अगर आप समय से पहले पैसा निकालते हैं, 2 साल से पहले पैसा निकालते हैं ,तो आपका जो ब्याज है वो 2% कम हो जाएगा ।
इस योजना का प्राथमिक लक्ष्य यही है कि भारत का जो इन्वेस्टमेंट इको सिस्टम है, उसमें महिलाओं की हिस्सेदारी को और ज्यादा बढ़ाया जा सके ।
पी एम विश्वकर्मा योजना
इस योजना को भारत में जो पारंपरिक कारीगर है, जो शिल्पकार है उनके उत्थान के लिए शुरू किया गया है उनको बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इस पूरी योजना की शुरुआत की है। उनकी जो विरासत है, उस विरासत को संरक्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
ये केंद्रीय क्षेत्र की योजना है और केंद्रीय क्षेत्र की योजना की विशेषता ये होती है कि इसमें जो पूरी फाइनेंसिंग है वो केंद्र सरकार की ओर से की जाती है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय यानी मिनिस्ट्री ऑफ़ MSME मंत्रालय द्वारा इसकी शुरुआत की गई है ।
इसमें कारीगर , नाव बनाने वाले लोग , लोहार , कुम्हार , मूर्तिकार , दर्जी इस तरह के काम करने वाले जो कारीगर हैं उन लोगों को इस योजना से जोड़ने की बात की गई हैं।
इस पूरी योजना में जो कारीगर हैं, जो इस योजना से जुड़ेंगे
उनको प्रशिक्षण दिया जाएगा और प्रशिक्षण के दौरान उन्हें ₹500 की अमाउंट भी मिलेगा, जो उनको दिया जाएगा ताकि उनका जीवन चल सके। इसके अलावा जब उनका प्रशिक्षण पूरा हो जाएगा तो प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उनको जब किट की जरूरत पड़ेगी उनको तमाम टूल्स की जरूरत पड़ेगी। वो खरीदने के लिए उनको ₹15,000 का अमाउंट भी दिया जाएगा।
उसके बाद जब वो अपना बिज़नेस शुरू करेंगे तो बिज़नेस शुरू करने के लिए उन्हें सरकार लोन भी प्रदान करेगी । आर्थिक सहायता में पहली किस्त ₹1,00,000 की है, दूसरी किस्त ₹2,00,000 की है और इस पर 5% तक का ब्याज देना पड़ सकता है जो बहुत कम ब्याज भी है।